कानपुर में व्यापार में 500 करोड़ की रोज लग रही चपत

कानपुर में लॉकडाउन थोक बाजारों को रोज 500 करोड़ की चपत लगा रहा है। शहर में रोज होने वाला 100 करोड़ रुपये का कपड़े का कारोबार भी प्रभावित है। इसी तरह किराना, सोना-चांदी, गल्ला, इलेक्ट्रिकल्स, बर्तन का बहुत बड़े स्तर पर काम होता है। कारोबारियों ने सरकार के लॉकडाउन का समर्थन किया है, लेकिन उनका कहना है कि सरकार को इससे होने वाले नुकसान की भरपाई करने में सहयोग करना होगा। वहीं, 31 मार्च को खत्म हो रहे वित्तीय वर्ष के आयकर रिटर्न की तिथि 30 जून तक बढ़ाने के निर्णय का स्वागत किया है। कानपुर कपड़ा कमेटी के अध्यक्ष चरनजीत सिंह सागरी ने बताया कि थोक रेडीमेड कपड़ों का भी शहर बड़ा गढ़ है। दिहाड़ी मजदूरों को भी यहां पर अच्छा काम मिलता है। दि किराना मचेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष अवधेश वाजपेयी ने बताया कि शहर से ही आसपास के जिलों को मेवा, सब्जी मसाला की सप्लाई की जाती है। इसके अलावा कई राज्यों में भी सब्जी मसाला भेजा जाता है। अब सब ठप है। प्रतिदिन 20-25 करोड़ का व्यापार बाधित है। उप्र सराफा एसोसिएशन के अध्यक्ष महेश चंद्र जैन ने बताया कि कोरोना से हर व्यापार में जबरदस्त असर पड़ा है। सराफा भी इससे अछूता नहीं है। पहले भाव इतने तेज हुए कि आम ग्राहक ने सोना-चांदी खरीद से दूरी बना ली। अब बाजार बंद हैं। स्टाफ का खर्चा भी कारोबारियों को उठाना है। करोड़ों रुपये के कारोबार पर असर पड़ा है। बताया कि 31 माच को खत्म हो रह वित्तीय वर्ष के आयकर रिटर्न की तिथि 30 जून तक बढ़ाने से कारोबारियों को राहत मिली है। इन बाजारों पर भी असर शहर में भसा टोली में बर्तन का बड़ा काम है। इसके अलावा अलग-अलग क्षेत्रों में लोहा की 10 बड़ी मंडियां हैं। कलक्टरगंज में गल्ला और शक्करपट्टी में शक्कर का बहुत बड़ा काम है। इसके अलावा बारदाना का कलक्टरगंज में अच्छा काम है। इन बाजारों में प्रतिदिन करोडों का व्यापार कारोबार होता है।